तहज़ीब का इंसानियत से ताल्लुक नहीं?

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हम जगहों के हिसाब से व्यवहार करते हैं। कितने चेहरे
लेकर घूमते हैं भई?
‘भैया, दो सवारी का काट लो’ टीना ने कॉलेज के गेट पर उतरकर
आॅटो वाले को 50 रु. का नोट देते हुए कहा। ऑटो वाले ने 30 रु.
वापस किए।
‘अरे! ये क्या? आपको पता नहीं है, हम स्टूडेंट है, हमें स्टूडेंट कन्सेशन
मिलता है, 4 रुपए और दो’ टीना ने कहा।
‘मैडम, मैंने कम ही लिया है, नहीं तो यहां तक एक सवारी का 15 रु. लगता
है’ ऑटो वाले ने कहा।
‘आप लोग ऐसे ही हमें रोज़ लूटते हो, मैं कुछ नहीं जानती, 4 रु. वापस करो’
टीना ने कुछ तेज़ स्वर में कहा, तो आसपास के लोग उनकी तरफ देखने लगे।
‘मैडम, डीज़ल का रेट इतना बढ़ गया है और फिर धंधा हो या न हो, हमें
शाम को ऑटो मालिक को किराया उतना ही देना पड़ता है, ऊपर से आप लोग...’
हताशा और ग़ुस्से से ऑटो वाले ने टीना के हाथ पर 4 रु. रख दिए और भुनभुनाते
हुए आगे बढ़ गया।
‘जाने देती 4 रु. की ही तो बात थी, ग़रीब ऑटो ड्राइवर है’ टीना की सहेली
शालिनी ने कॉलेज में प्रवेश करते हुए कहा।
‘कैसे जाने देती।



बात 4 रु. की नहीं
है, सिद्धांतों की है।
और फिर जब तक
हम अपने अधिकारों
के प्रति जागरुक
नहीं होंगे, तब तक
ये लोग हमें यूं ही
लूटते रहेंगे। और
फिर ऑटो चलाना
तो उसका काम है,
उसको दया ही चाहिए, तो ऑटो चलाना छोड़कर भीख मांगे...’ टीना ने एक छोटा-
सा लेक्चर शालिनी को पिला दिया।
उसी शाम शहर के एक बड़े आइसक्रीम पार्लर में आइसक्रीम खाने के बाद
वेटर ने जब 90 रु. का बिल टेबल पर रखा, तो टीना ने बड़ी अदा से 100
रु. का नोट देते हुए जब ‘कीप द चेंज’ कहा तो जवाब में वेटर ने मुस्कराकर
अभिवादन में सिर हिला दिया। ‘टीना, लेकिन मेन्यू के हिसाब से आइसक्रीम तो
70 रु. की थी। तूने कुछ कहा क्यों नहीं? और वेटर को टिप देने की क्या ज़रूरत
थी’ शालिनी ने पार्लर से बाहर आते हुए कहा।
‘अरे यार, मैं कुछ बोलती तो पार्लर मैनेजर और वहां बैठे बाकी के लोग हमारे
बारे में क्या सोचते? और फिर 20 रु. की ही तो बात थी। पार्लर में वेटर को टिप
न देना ‘तहज़ीब’ के खिलाफ माना जाता है, तू भी न, कुछ समझती नहीं...।’
शालिनी सचमुच कुछ नहीं समझी...

Source: Dainik Bhaskar

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