ख़लल

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बेटे की नौकरी ऐसी थी कि उसे सुबह पांच बजे काम पर जाना
होता था।
मां रोज़ सुबह चार बजे से उठकर बेटे के लि बड़े
प्रेम लगन से खाना बनाती और टिफ़ि तैयार करती थी,
 ताकि उसका लाड़ला बाहर का खाना खाकर अपना हाज़मा बिगाड़ ले। 
एक दि मां बीमार हो गई, तो वह बहू से बोली,
 ‘सुबह जल्दी उठकर खाना बना देना।’ 
इस पर बेटा बाेला, ‘रहने दो मै होटल में खा लूंगा
परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। 
बेवजह नींद में ख़लल पड़ेगा।’ 
यह सुनकर मां और पिता जी एक-दूसरे का मुंह देखते रह गए।

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