एक कुम्हार

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एक कुम्हार माटी से *चिलम* बनाने जा रहा था..।
उसने *चिलम का आकार* दिया..। थोड़ी देर में उसने *चिलम को बिगाड़ दिया...l*
*माटी* ने पूछा -: अरे कुम्हार, तुमने *चिलम अच्छी बनाई फिर बिगाड़ क्यों दिया.?*
*कुम्हार* ने कहा कि -: अरी माटी, पहले मैं *चिलम बनाने की सोच रहा था,* किन्तु मेरी *मति (दिमाग) बदली* और अब मैं *सुराही बनाऊंगा,,,।*



ये सुनकर *माटी* बोली -: रे कुम्हार, *मुझे खुशी* है, *तेरी तो सिर्फ मति ही बदली, मेरी तो जिंदगी ही बदल गयी.l*
चिलम बनती तो *स्वयं भी जलती* और *दूसरों को भी जलाती*, अब *सुराही बनूँगी* तो स्वयं भी *शीतल* रहूंगी और दूसरों को भी *शीतल रखूंगी...l*
"यदि जीवन में हम सभी सही फैसला लें तो
हम स्वयं भी खुश रहेंगे एवं दूसरों को भी खुशियाँ दे सकेंगे..!!

-Just Do Gud

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