एक गरीब सा लडका

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प्रेरणादायक कहानी
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"चलो भागो यहाँ से।जेब मे पैसे हैं तेरे जो आ गया इतने बडे रस्टुरेन्ट में।"
उस वेटर ने उस लडके को झिडका।।
वह एक गरीब सा लडका था।
निकर और गंजी पहने हुए।पैरों मे पुरानी सी हवाई चप्पल।बाल बडे और बिखरे हुए। कमजोर भी लग रहा था।
वेटर एक  पढा लिखा नौजवान था पर बेरोजगारी और गरीबी में यह काम करने पर मजबुर होना पडा था ।जहाँ उसने सीखा था कि इंसान की पहचान उसके कपडो और पैसे से होती है।
इसी कारण उसने बच्चे को झिडक दिया था।
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"अंकल सुबह से काम करके कुछ पैसे मिले हैं तो नाश्ता करने आ गया।सैण्डविच कितने की है?"
"पचास रू की और ब्रेड पकौडा चालीस रू का।क्या दूँ?जल्दी बोल?"
वेटर ने बेहद रूखे आवाज मे कहा तो उसने सहमते हुए कहा-"अंकल, खाने का मन तो सैण्डविच था पर आप मुझे ब्रेड पकौडा ही ला दो।पेट ही तो भरना है।"
और जल्दी से वहाँ से हटकर बैठ गया ताकि और झिडकी नही खानी पडे।।
वेटर ने उसका आर्डर और चालीस रू का बिल उसकी टेबुल पर रख दिया।
उसने इत्मिनान से नाश्ता किया , बिल के चालिस रु रखे और वहाँ से चला गया।
जब वेटर प्लेट और पैसे लेकर चलने लगा तो उसकी नजर प्लेट के नीचे रखे दस रू पर पडी और कागज की स्लिप पर लिखा था -अंकल यह आपके बच्चों के लिये।

वेटर के पैर पत्थर हो गये।
उसने सोचा कि उस गरीब को सैण्डविच खाना था, उसके पास पैसे भी थे ।
पर उसने मेरे बच्चों का ख्याल किया और अपनी इच्छा को मार दिया।
वह उस बच्चे से किये अपने व्यवहार पर शर्मिंदा था।
वेटर का सिर उस बच्चे के सम्मान  मे झुक गया और उसकी आँखों से दो बूँद आँसू छलक पडे।
बडे बडे , मोटे मोटे आँसू।
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इंसान अपने कपडो और हैसियत से नही बल्कि अपनी बडी और अच्छी सोच से बडा बनता है।
हमे किसी के बाहरी पहनावे से उसके बारे मे फैसला नही करना चाहिये।

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