Like us on FB
महिला दिवस के नाम पर, मोहल्ले मे महिला सभा का आयोजन किया गया था।...सभा स्थल पर महिलाओं की संख्या अधिक और पुरुषों की कम थी.....
मंच पर तरकीबन पच्चीस वर्षीय खुबसूरत युवती, आधुनिक वस्त्रों से सज्जित.... जो आवरण कम दे रहे थे और नुमाया ज्यादा कर रहे थे बदन को।.... माइक थामे कोस रही थी, पुरुष समाज को।....
वही पुराना आलाप.... कम और छोटे कपड़ो को जायज, और कुछ भी पहनने की स्वतंत्रता का बचाव करते हुए... पुरुषों की गन्दी सोच और खोटी नियत का दोष बतला रही थी।....
तभी अचानक सभा स्थल से..... तीस बत्तीस वर्षीय सभ्य, शालिन और आकर्षक से दिखते नवयुवक ने खड़े होकर अपने विचार व्यक्त करने की अनुमति मांगी। ......
स्वीकार कर अनुरोध माइक उसके हाथों मे सौप गयी.... हाथो मे आते ही माइक बोलना उसने शुरू किया....माताओं बहनो और भाइयो आप मुझको नही जानते की मै कैसा इंसान हूं.... लेकिन पहनावे और शक्ल सूरत से मै आपको कैसा लगता हू बदमाश या फिर शरीफ ....?
सभास्थल से आवाजे गूंज उठी... शरीफ लग रहे हो... शरीफ लग रहे हो... शरीफ लग रहे हो....
ये सुनकर... अचानक ही उसने अजीबोगरीब हरकत कर डाली ... सारे कपड़े सिर्फ हाफ पैंट टाइप की अंडरवियर छोड़ मंच पर ही उतार दिये....
देख कर ये रवैया उसका.... पूरा सभा स्थल गूंज उठा आक्रोश के शोर से.... मारो मारो गुंडा है, बदमाश है, बेशर्म है, शर्म नाम की चीज नही है इसमे.... मां बहन का लिहाज नही है इसको नीच इंसान है ये छोड़ना मत इसको....
सुनकर ये आक्रोशित शोर.... अचानक वो माइक पर गरज उठा... रुको... पहले मेरी बात सुन लो... फिर मार भी लेना चाहे तो जिंदा जला भी देना मुझको...
अभी अभी तो.... ये बहन कम कपड़े, तंग और बदन नुमाया छोटे छोटे कपड़ो के साथ साथ स्वतंत्रता की दुहाई देकर गुहार लगाकर .... नियत और सोच मे खोट बतला रही थी....तब तो आप सभी तालियाँ बजाकर सहमति जतला रहे थे।....
फिर मैने क्या किया है.... सिर्फ कपड़ो की स्वतंत्रता ही तो दिखलायी है।... नियत और सोच की खोट तो नही..... और फिर मैने तो, आप लोगो को,... मां बहन और भाई कहकर ही संबोधित क्या था।... फिर मेरे अर्द्ध नग्न होते ही.... आप मे से किसी को भी मुझमे भाई और बेटा क्यो नही नजर आया।.... सिर्फ मर्द ही आपको क्यो नजर आया... आप मे से तो किसी की सोच और नियत खोटी नही थी फिर ऐसा क्यो.....?
सच तो ये है की..... झूठ बोलते है लोग की वेशभूषा और पहनावे से कोई फर्क नही पड़ता।.. हकीकत तो यही है मानवीय स्वभाव की.... की किसी को सरेआम बिना आवरण के देखे ले तो घीन सी जागती है मन मे और.... सम्पूर्ण आवरण से उत्सुकता तथा.... अर्द्ध नग्नता से उतेजना......ऐसे ही ये लोग तो निकल जाती है.... अर्द्ध नग्न होकर वहशियों की वहशत को जगाकर.... और शिकार हो जाती है उनकी वहशत की... कमजोर औरतें और मासूम बच्चीयां...।।
महिला दिवस के नाम पर, मोहल्ले मे महिला सभा का आयोजन किया गया था।...सभा स्थल पर महिलाओं की संख्या अधिक और पुरुषों की कम थी.....
मंच पर तरकीबन पच्चीस वर्षीय खुबसूरत युवती, आधुनिक वस्त्रों से सज्जित.... जो आवरण कम दे रहे थे और नुमाया ज्यादा कर रहे थे बदन को।.... माइक थामे कोस रही थी, पुरुष समाज को।....
वही पुराना आलाप.... कम और छोटे कपड़ो को जायज, और कुछ भी पहनने की स्वतंत्रता का बचाव करते हुए... पुरुषों की गन्दी सोच और खोटी नियत का दोष बतला रही थी।....
तभी अचानक सभा स्थल से..... तीस बत्तीस वर्षीय सभ्य, शालिन और आकर्षक से दिखते नवयुवक ने खड़े होकर अपने विचार व्यक्त करने की अनुमति मांगी। ......
स्वीकार कर अनुरोध माइक उसके हाथों मे सौप गयी.... हाथो मे आते ही माइक बोलना उसने शुरू किया....माताओं बहनो और भाइयो आप मुझको नही जानते की मै कैसा इंसान हूं.... लेकिन पहनावे और शक्ल सूरत से मै आपको कैसा लगता हू बदमाश या फिर शरीफ ....?
सभास्थल से आवाजे गूंज उठी... शरीफ लग रहे हो... शरीफ लग रहे हो... शरीफ लग रहे हो....
ये सुनकर... अचानक ही उसने अजीबोगरीब हरकत कर डाली ... सारे कपड़े सिर्फ हाफ पैंट टाइप की अंडरवियर छोड़ मंच पर ही उतार दिये....
देख कर ये रवैया उसका.... पूरा सभा स्थल गूंज उठा आक्रोश के शोर से.... मारो मारो गुंडा है, बदमाश है, बेशर्म है, शर्म नाम की चीज नही है इसमे.... मां बहन का लिहाज नही है इसको नीच इंसान है ये छोड़ना मत इसको....
सुनकर ये आक्रोशित शोर.... अचानक वो माइक पर गरज उठा... रुको... पहले मेरी बात सुन लो... फिर मार भी लेना चाहे तो जिंदा जला भी देना मुझको...
अभी अभी तो.... ये बहन कम कपड़े, तंग और बदन नुमाया छोटे छोटे कपड़ो के साथ साथ स्वतंत्रता की दुहाई देकर गुहार लगाकर .... नियत और सोच मे खोट बतला रही थी....तब तो आप सभी तालियाँ बजाकर सहमति जतला रहे थे।....
फिर मैने क्या किया है.... सिर्फ कपड़ो की स्वतंत्रता ही तो दिखलायी है।... नियत और सोच की खोट तो नही..... और फिर मैने तो, आप लोगो को,... मां बहन और भाई कहकर ही संबोधित क्या था।... फिर मेरे अर्द्ध नग्न होते ही.... आप मे से किसी को भी मुझमे भाई और बेटा क्यो नही नजर आया।.... सिर्फ मर्द ही आपको क्यो नजर आया... आप मे से तो किसी की सोच और नियत खोटी नही थी फिर ऐसा क्यो.....?
सच तो ये है की..... झूठ बोलते है लोग की वेशभूषा और पहनावे से कोई फर्क नही पड़ता।.. हकीकत तो यही है मानवीय स्वभाव की.... की किसी को सरेआम बिना आवरण के देखे ले तो घीन सी जागती है मन मे और.... सम्पूर्ण आवरण से उत्सुकता तथा.... अर्द्ध नग्नता से उतेजना......ऐसे ही ये लोग तो निकल जाती है.... अर्द्ध नग्न होकर वहशियों की वहशत को जगाकर.... और शिकार हो जाती है उनकी वहशत की... कमजोर औरतें और मासूम बच्चीयां...।।
Comments
Post a Comment