बहुत गरीबी है साहब ।

Like us on FB
कल मैं रिक्शे से घर आया ...

मैंने रिक्शे वाले से पूछा- भैया आपके बच्चे है
अगर बुरा न माने तो कुछ छोटे कपड़े मैं उनके लिए दे दूँ.. आप पहनाओगे क्या??

उसने कहा - जी साहब

मैंने कहा - आप घर के अंदर आजाओ
सोफे पर बैठो
मैं कपड़े लाता हूँ ।

जब तक मैं कपड़े लाया वो बाहर ही खड़ा रहा .
ये देख मैंने कहा -भैया बैठ जाओ और
देख लो जो कपड़े आपके काम आ जाये ..

कांपते हुए वो सोफे पर बैठ गया ..

मैंने कहा -ठण्ड लग रही है तो चाय बना दू ..
आप पी लो ..

ये सुनते ही उसकी आँखो से आंसू बहने लगे

बोला नही साहब बहुत छोटेपन से रिक्शा चला रहा हू..
आजतक ऐसा कोई नही मिला जो इतनी इज़्ज़त दे
हम जैसे लोगो को
और ये जो कपड़े है जो आप लोग हम जैसो को देते है हम लोग इसको रोज़ न पहन कर रिश्तेदारी या शादी पार्टी में पहन कर जाते है । बहुत गरीबी है साहब ।

दो हफ्ते बाद घर जाऊंगा तब बच्चे ये कपड़े पहनेगे बहुत दुआ देंगे साहब ये बात सुनते ही मन बोझिल सा हो गया..
फिर मन में यही आया क्यो न
मंदिर -मस्जिद् में दान करने से अच्छा अगर किसी की जरूरत पूरी की जाए.......
❤🙏🙏🙏
आपका क्या विचार है?

Comments