असहिष्णुता और अवार्ड वापसी यह दो शब्द तब चर्चा में आये थे जब 30 अगस्त, 2015 को कर्नाटक के कन्नड़़ लेखक एम.एम. कलबुर्गी की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। और तब पुरस्कार वापस करने वालों की पीठ ठोकने के लिए शाहरुख खान आगे आये। मीडिया यह नहीं बतलायेगी कि इनके पिता मीर ताज मुहम्मद गान्धी-नेहरू के जमाने से ही कट्टर कांग्रेसी थे।
1948 में शाहरुख खान के पिता मीर ताज मुहम्मद खान दिल्ली आकर बस गए थे और 1965 में शाहरुख़ खान पैदा हुए । दादा के नाम में "खान" नहीं था, वे केवल "मीर जान मुहम्मद" थे। इनके दादा के 5 बेटे व 1 बेटी - मियां मोहम्मद, गुलाम मुहम्मद अका गामा, अल्लाहबक्श, खान मोहम्मद और मीर ताज मोहम्मद (शाहरुख़ के पिता सबसे छोटे थे) और बहन खेर जान थी। आज भी पेशावर के किस्सा कहानी बाजार में रहने वाले चचेरे भाइयों के नाम में "खान" नहीं है। और ये लोग बांस की सीढी बनाने का काम करते है। केवल शाहरुख़ के पिता ने भारत आकर अपने नाम में "खान" जोड़ा।
आश्चर्य है! 1947 की स्वतंत्रता के बाद जब दिल्ली के मुसलमान पाकिस्तान भाग रहे थे उस जमाने में ये लोग पेशावर से आकर दिल्ली में बस गए और 'हिन्दको' भाषा बोलने वाले कश्मीरी-हिन्दाकोवां से अचानक अफ़ग़ानी-पठान बन गए !! दाल में काला है ! लगता है दिल्ली से भागे किसी पठान से पेशावर में मुलाक़ात हुई, जिसकी जायदाद हड़पने के लिए दिल्ली आ गए और "खान" बन गए।
वरना पेशावर के मंहगे बाज़ारी इलाके का घर छोड़कर खून-खराबे के दौर में खतरा उठाकर दिल्ली क्यों आते और पहचान क्यों बदलते ? जवाहरलाल नेहरू के शिक्षा मंत्री मौलाना अब्दुल कलाम आज़ाद उस समय मुसलामानों को समझाते रहते थे कि पाकिस्तान मत जाओ, वरना सात सौ सालों का हिन्दुस्तानी राज छिन जाएगा और हिन्दुस्तान में रहने वाले मुसलामानों की ताक़त घट जाएगी । उनकी बात मानकर बहुत से मुसलमान दिल्ली में बस गये थे । गान्धी जी भी खुलेआम कहते थे कि मुसलमानों को हिन्दुस्तान नहीं छोड़ना चाहिए । मीर ताज मुहम्मद कट्टर कांग्रेसी थे, अतः कांग्रेस के नेताओं की बात मानकर आये हो, लेकिन पहचान बदलने के पीछे क्या राज था???
दरअसल 'खान' सरनेम इनकी मातृ पक्ष का है। शाहरुख खान की माँ लतीफ़ फातिमा एक हैदराबादी इंजिनियर इफ्तिखार अहमद (लतीफ़ फातिमा के वास्तविक पिता या बायोलॉजिकल फादर), जो मंगलौर बन्दरगाह में वरिष्ठ इंजिनियर थे, की बेटी थी, जिसे नेहरु के चहेते मन्त्री (आजाद हिन्द फ़ौज के जनरल) शाहनवाज खान ने गोद लिया था। जबकि शाहनवाज खान के तीन बेटे और दो बेटियाँ थी, तीसरी बेटी की उनको ऐसी क्या आवश्यकता पड़ी कि दूसरे से माँगना पड़ गया इसपर आजतक किसी ने कुछ नहीं लिखा है |
https://www.geni.com/people/Shah-Nawaz-Khan/6000000010444289909नेहरु के मन्त्री को एक रेस्तरां वाले से उस गोद ली गयी बेटी का निकाह क्यों करना पड़ा यह भी रहस्य के घेरे में है | "लाल मिर्च" (रेड चिली शाहरुख़ की प्रोडक्शन कंपनी) का रहस्य वहीं छुपा है | लतीफ़ फातिमा ने ही शाहरुख के बाप ताज मुहम्मद की किस्मत में चार चाँद अथवा चार लाल मिर्च लगा दिया था !! इतना लाल मिर्च लगाया कि ताज मुहम्मद ने पैतृक आस्पद (surname) त्यागकर ससुर शाहनवाज खान वाला आस्पद "खान" अपना लिया |
फोटो: विकिपेडिया में लिखा है कि इनके पिता दिल्ली में रेस्टोरेंट चलाते थे और किराये के अपार्टमेंट में रहते थे।
शाहरुख़ का कहना है कि उसके दादा "जान मुहम्मद" अफगान पठान थे, जो सरासर झूठ है | जान मुहम्मदऔर उसके सारे वारिसों में से कोई भी न तो खान आस्पद लगाते थे और न स्वयं को पठान कहते थे, वे लोग "हिन्दको" बोली बोलने वाले पश्चिमी कश्मीर के हिन्दकोवाँ मुस्लिम थे जो पेशावर में बस गए थे, हिन्दको शब्द बताता है कि वे हिन्दू मूल के थे |
शाहरुख खान अपने पिता को पठान कहता है जो बात झूठी सिद्ध हो चुकी है, भारतीय पत्रकारों ने पेशावर जाकर उसके सम्बन्धियों द्वारा खण्डन भी प्रकाशित कर दिए, और शाहरुख खान का यह भी कहना है कि उसके पिता शाहनवाज खान के चचेरे भाई थे, जबकि शाहरुख़ के पिता तो दिल्ली आने के बाद "खान" surname लगाये जो आजतक उनके पेशावर के सम्बन्धी नहीं लगाते।
इस समाचार में शाहरुख़ खान के ये झूठे दावे है जिसमें "चेन्नई एक्सप्रेस" फिल्म की कथा की प्रेरणा उसने झूठमूठ बतायाथा।
https://timesofindia.indiatimes.com/entertainment/hindi/bollywood/news/How-Shah-Rukhs-Pathan-father-fell-in-love-with-his-South-Indian-mother/articleshow/21574818.cms?fbclid=IwAR2lcagajh7cSDzTHf4gagpgHFT9-ebtC5pCe6vwfewgxEPzC-v2dGAkWK0अकारण कोई झूठ नहीं बोलता | शाहरुख़ की कहानी में एक सच्चाई है -- लतीफ फातिमा की स्मृति एक कार दुर्घटना में चली गयी थी, तभी ताज मुहम्मद का उससे परिचय हुआ, तब वह किसी और की मँगेतर थी किन्तु स्मृति खो चुकी फातिमा से ताज मुहम्मद ने निकाह कर लिया | अपने नाम में खान भी लगा लिया, जो शाहरुख़ नहीं स्वीकारता !! शाहरुख खान स्वयं इस इन्टरनेट पन्ने का मैनेजर है (जिसकालेखक उसका गुमनाम बेटा आर्यन है) उसका स्क्रीनशॉट संलग्न है, जिसमें शाहनवाज खान को लतीफ़ फातिमा का दत्तक पिता इनलोगों ने स्वयं लिखा है।
जब शाहनवाज खान महान स्वतन्त्रता सेनानी और महान मन्त्री थे तो शाहरुख़ खान को यह स्वीकारने में शर्म क्यों आती है कि वे उसकी माँ के दत्तक पिता थे ?
अब बात करते है शाहनवाज खान की जिसका सरनेम शाहरुख़ के पिता उपयोग करते है…
सुभाष चन्द्र बसु की फौज को नेहरु ने बेरोजगार बना दिया, उसके सैनिकों और अफसरों को भारतीय सेना में लेने से इनकार कर दिया किन्तु आज़ाद हिन्द फौज के सबसे महत्वपूर्ण युद्ध में पराजय दिलाने वाले शाहनवाज खान को नेहरु ने मन्त्री बना दिया, वह भी पाकिस्तान से बुलाकर!
रावलपिण्डी के पास कहुटा नामक जगह है, जहाँ आज अब्दुल कादिर खान का परमाणु बम शोध संयन्त्र है | कहुटा के बगल में ही मटोर गाँव है जहाँ कैप्टेन सरदार टिक्का खान के बेटे शाहनवाज खान का 24 जनवरी 1914 में जन्म हुआ था। पढाई भी वही हुई। बाद में वह ब्रिटिश सेना में कैप्टेन बने। लेकिन उसके बाद द्वितीय विश्व युद्ध के समय 1944 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिन्द फौज में शामिल हो गए। वहां नेताजी के करीबी लोगों में से थे और आजाद हिंद फौज में मेजर जनरल थे।
जबकि शाहनवाज खान के सगे भाई, जो पहले ब्रिटिश सेना में और बाद में पाकिस्तानी सेना में ब्रिगेडियर थे। उनके सुपुत्र 2012 में पाकिस्तानी ISI के प्रमुख बने - लेफ्टिनेंट जनरल जहीरुल इस्लाम (उस समय ISI के डिप्टी डायरेक्टर जनरल और मेजर जनरल थे इसफंदयार अली खान पटौदी। वही पटौदी, जो बॉलीवुड स्टार सैफ अली खान के सगे चाचा और शाहनवाज खान का सगा भांजा है।
उस समय टाइम्स ऑफ़ इन्डिया और PTI ने बताया था कि शाहनवाज खान की गोद ली गयी बेटी लतीफ़ फातिमा के बेटे शाहरुख़ खान हैं, जिसका शाहरुख़ खान ने विरोध किया तो पाकिस्तानी और भारतीय सेना ने शाहरुख़ खान के बयान का समर्थन किया - शाहनवाज खान ने जब लतीफ़ फातिमा को गोद लिया तब वे सेना में कार्यरत नहीं थे तो सेना के पास ऐसा रिकॉर्ड कहाँ से आया ? इस समाचार से एक वर्ष पहले ही जनरल वी के सिंह को हटाया गया था।
शाहनवाज खान को राजनीति का चस्का लगा तो नेताजी ने जिस पार्टी फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की उसमें न जाकर कांग्रेस में गए जिसमें अध्यक्ष का चुनाव जीतने के बाद भी अनशन की धमकी देकर गाँधी जी ने नेताजी को बाहर का रास्ता दिखाया था। गांधी जी को नेताजी से इतनी घृणा थी कि नेताजी की मृत्यु की सूचना मिलने पर शोक संवेदना देते समय भी घृणा को दबा न सके, नेताजी को "देशभक्त" तो कहा किन्तु जोड़ दिया कि नेताजी एक "गुमराह देशभक्त" थे !! शत्रु की मृत्यु पर भी कोई ऐसी भाषा का प्रयोग नहीं करता | शाहनवाज खान नेताजी के भक्त थे तो नेहरु के पीछे क्यों चले गए ? जबकि देश का बँटवारा होने पर तो शाहनवाज खान अपने पैतृक प्रदेश को भाग गये थे।
जापान के नागासाकी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर डॉ दीपक बसु ने लिखा है कि 1944 में इम्फाल युद्ध की गोपनीय सूचनाएँ शाहनवाज खान ने अपने भाई को भेजी (जिसकी वजह से आजाद हिन्द फ़ौज के अधिकतर सैनिक मारे गए और अंत में आजाद हिन्द फ़ौज युद्ध हारकर नष्ट हो गई।) जो ब्रिटिश सेना (बाद में पाकिस्तानी सेना) में अधिकारी थे, उसी का बेटा ISI का प्रमुख बना!!
1952 में मेरठ में पहला चुनाव जीता। और भारत में एक हैदराबादी इंजिनियर इफ्तिखार अहमद की बेटी लतीफ़ फातिमा को गोद लिया जबकि इनका पूरा परिवार (3 बेटे और 2 बेटी) पाकिस्तान में ही रहता था। 1956 में जब हंगामे के बाद सुभाष बाबू के लापता होने की जाँच के लिए नेहरु को कमिटी गठित करनी पड़ी तो उसका प्रमुख शाहनवाज खान को बना दिया जिन्होंने कमिटी के सदस्य सुरेश चन्द्र बसु के विरोध के बावजूद लिख दिया कि विमान दुर्घटना में नेताजी की मृत्यु हुई थी।
इतना ही नहीं 1965 के युद्ध के दौरान शाहनवाज खान भारत सरकार के वरिष्ठ मन्त्री थे और उनके सगे ज्येष्ठ पुत्र महमूद नवाज पाकिस्तानी सेना की ओर से युद्ध कर रहे थे, जिसपर भारतीय संसद में बहुत हंगामा भी हुआ था।
मीडिया में ये लोग गलत वंशावली क्यों बताते हैं ? क्योंकि बिना पाकिस्तानी सहयोग के बॉलीवुड का स्टार बनना कठिन है | जनरल वी के सिंह को बाहर का रास्ता दिखाने वाली सरकार के कार्यकाल में भारतीय सेना ने भी झूठा बयान दिया था कि शाहरुख़ के पाक खून में शाहनवाज के ISI भाई के खानदान वाला खून नहीं है, सेना का बयान गलत नहीं था -- दत्तक पुत्री से खून का सम्बन्ध नहीं होता !!
नेताजी सुभाष चन्द्र बसु के साथ गद्दारी करके इम्फाल में आज़ाद हिन्द सेना को शाहनवाज खान ने हराया था, ब्रिटिश सेना में कार्यरत अपने एक भाई को गोपनीय सूचनाएँ भेजकर, यह बात बहुत से विद्वानों ने लिखी हैं | स्टेनो जैन साहब ने जिस दूसरे पत्र का उल्लेख न्यायाधीश के समक्ष किया था उसमें "विश्वस्त सूत्र से मिली सूचना" थी कि नेताजी रूस चले गये | वह विश्वस्त सूत्र था नेताजी का विश्वस्त सेनापति शाहनवाज खान जिसका भाई ब्रिटिश सेना में अधिकारी था, उसी भाई को सारी सूचनाएं भेजकर इम्फाल मोर्चे पर आज़ाद हिन्द फौज को पराजित कराया गया | विभाजन के बाद शाहनवाज खान पाकिस्तान चला गया किन्तु मौलाना आज़ाद ने कहा कि सारे मुसलमान पाकिस्तान चले जायेंगे तो लालकिले पर सात सौ वर्षों का पुराना "पाक" शासन पुनः कैसे स्थापित होगा !! अतः शाहनवाज खान कुनबे के साथ वापस लौटे, यहाँ तक कि अपनी बेटी-जमाई को भी ले आये और पाकिस्तान चले गए एक मुसलमान के दिल्ली वाले खाली घर में उनको कब्जा दिला दिया (विस्थापित मुसलमानों के खाली घरों में पाकिस्तान से आये हिन्दू यदि घुसते थे तो उनको गाँधी जी स्वयं जाकर निकालते थे)। उसी बेटी से बॉलीवुड का स्टार शाहरूख खान पैदा हुआ।
मेरा मुद्दा शाहरुख़ खान नहीं है | झूठ और फर्जीवाडों के जाल में सच्चाई कैसे छुपाई जा रही है इसका मैंने केवल उदाहरण दिखाया है | इस भ्रम में मत रहें कि ये लोग सेक्युलर हैं | जो लोग नेताजी को मरवा सकते हैं वे हमलोगों को क्यों छोड़ेंगे ?
कहना पड़ेगा, जबतक हिंदुस्तान में सिनेमा है तबतक लोग *तिया बनते रहेंगे।
https://hindi.news18.com/photogallery/knowledge/shah-nawaz-khan-was-central-minister-in-india-and-his-son-top-officer-in-pakistani-army-3369721-page-2.htmlhttps://timesofindia.indiatimes.com/entertainment/hindi/bollywood/photo-features/shah-rukh-khan-lesser-known-facts-about-the-baadshahs-family/photostory/64223546.cmshttps://en.wikipedia.org/wiki/Shah_Rukh_Khan?fbclid=IwAR1itOQX-4ps_jEhxxRAvL4ixuIRi3hOWw83jgTliwT4iJ9LIEFml7EphtYhttps://en.wikipedia.org/wiki/Shah_Rukh_Khan?fbclid=IwAR1itOQX-4ps_jEhxxRAvL4ixuIRi3hOWw83jgTliwT4iJ9LIEFml7EphtYhttps://timesofindia.indiatimes.com/world/pakistan/srks-ancestral-home-traced-to-pakistan/articleshow/5701179.cms
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